आजकल ऑडियो प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल हर कोई करता है और आप अगर देखेंगे तो ऑडियो प्रोडक्ट्स बनाने वाली बहुत सारी कंपनियां हैं और उसमें एप्पल भी अपने इयरफोंस और airpods बनता है लेकिन जो एप्पल के अलावा दूसरी कंपनियां है उनके ऑडियो प्रोडक्ट्स जैसे ईयरफोन और इयरबड्स के कलर अलग-अलग होते हैं जैसे व्हाइट, ब्लैक और ब्लू आदि लेकिन आपने जितने भी एप्पल के ऑडियो प्रोडक्ट्स देखे होंगे जैसे एप्पल के इयरफोंस और airpods वह सिर्फ व्हाइट कलर के ही क्यों होते हैं तो आज आप इस आर्टिकल यही जानेंगे कि एप्पल जितने भी अपने ऑडियो प्रोडक्ट्स जैसे उसके ईयरफोन और airpods बनता है तो वह वाइट कलर के ही क्यों बनता है?
Apple अपने AirPods और Earphones व्हाइट कलर में ही क्यों बनाता है?
जब दुनिया में कंपनियां ब्लैक कलर के इयरफोंस बना रही थी तो एप्पल ने जब अपना ईयर फोन बनाया तो उसने इस ब्लैक के बजाय व्हाइट कलर में बनाया अब आप सोचोगे कि यह कोई एक्सीडेंट वगैरा या फिर उसे समय कोई गलती हो सकती है पर ऐसा नहीं है। यह एक सोची समझी मार्केटिंग तकनीक थी। 2001 के समय में क्या था कि जो म्यूजिक प्लेयर्स थे। वह शैडो मैं छुप जाते थे क्योंकि वह ब्लैक कलर के होते थे। फिर जब एप्पल ने अपना म्यूजिक प्लेयर बनाया जो कि एप्पल ipod था वो पूरा प्योर व्हाइट कलर का था।
अगर हम साइकोलॉजी के तरह से देखे तो जो व्हाइट कलर का मतलब होता है क्लीन, प्रीमियम, फ्यूचरिस्टिक और यह सिंलीसिटी और स्टेटस को दिखाता है। यही उस स्टीव जॉब्स भी चाहते थे कि जब कोई इसे देखे तो पहली नजर में उसे ऐसा लगना चाहिए।
अब ipod को तो आप अपनी जेब में रख सकते थे पर उसके जो व्हाइट कलर के इयरफोंस होते थे वो एक तरह से चलती फिरती एड बन गई। इसी के साथ एप्पल के इंजीनियर ने इयरफोंस में कस्टम टाइटेनियम डाइऑक्साइड ब्लेंड का इस्तेमाल किया जिससे इयरफोंस को जो व्हाइट कलर है वो व्हाइट ही रहे और बहुत ही जल्दी जो इयरफोंस थे वह लोगों के लिए ईयर फोन से एक फ्लेक्स बन गए। तो पहले ipod फिर इयरफोन और आज के समय airpods एप्पल की वही मार्केटिंग आज तक चल रही है। यही कारण है कि एप्पल आज तक अपने ऑडियो प्रोडक्ट सिर्फ व्हाइट कलर के बनाता है।
निष्कर्ष:
साइकोलॉजी के हिसाब से व्हाइट कलर क्लीन, प्रीमियम, फ्यूचरिस्टिक और सिंलीसिटी और स्टेटस को दिखाता है। इसी की वजह से एप्पल अपने airpods और earphones व्हाइट कलर के बनाता है।