आजकल के जितने भी स्मार्टफोट, लैपटॉप, मॉनिटर और टीवी होते हैं उसमें आपने एक स्पेसिफिकेशन जरूर देखा होगा जिसको स्क्रीन रिफ्रेश रेट कहते हैं। पर आखिर यह स्क्रीन रिफ्रेश रेट होता क्या है? यह किसके लिए जरूरी होता है? क्या सिर्फ यह एक गेमर के लिए जरूरी होता है या फिर हर किसी यूज़र के लिए जरूरी है? इस आर्टिकल में हम यही जानेंगे की स्क्रीन रिफ्रेश रेट होता क्या है और इसके सभी पहलू को एक-एक करके जानेंगे:
स्क्रीन रिफ्रेश रेट क्या होता है?
स्क्रीन रिफ्रेश रेट स्क्रीन की स्पीड को बताता है। मतलब की जो स्क्रीन है वह 1 सेकंड में कितनी बार इमेज को अपडेट करती है। स्क्रीन रिफ्रेश रेट को हर्ट्स (Hz) मापा जाता है।
• 60Hz: इसका मतलब यह है कि स्क्रीन 1 सेकंड में 60 बार रिफ्रेश होती है।
•120Hz: 120 हर्ट्स का रिफ्रेश रेट जिस स्क्रीन में होता है वह स्क्रीन 1 सेकंड में 120 बार इमेज को अपडेट करती है।
जितना ज्यादा स्क्रीन का रिफ्रेश रेट होगा उतना ही स्मूथ आपका यूजर एक्सपीरियंस होगा और खासकर यह मूविंग इमेज के लिए और भी अच्छे से काम करता है।
रिफ्रेश रेट कैसे काम करता है?
आपके डिस्प्ले पर कोई एक स्थिर इमेज नहीं होता स्क्रीन पर हर सेकंड नए फ्रेम्स या इमेज दिखाए जाते हैं और रिफ्रेश रेट यही बताता है कि स्क्रीन कितनी बार नए फ्रेम्स या इमेज को दिखाता है।
एक तेज स्क्रीन रिफ्रेश रेट तेज मोशन को अच्छी तरह से दिखता है बिना किसी ब्लर और लैग के। जब भी आप तेजी से स्क्रॉल करते हो या कोई एक्शन गेम जैसे BGMI या फ्री फायर जैसे गेम्स खेलते हो तो हाई स्क्रीन रिफ्रेश रेट से विजुअल स्मूथ और नेचुरल दिखते हैं।
हाई या लो रिफ्रेश रेट से क्या फर्क पड़ता है?
लो रिफ्रेश रेट (60Hz):
• यह रिफ्रेश रेट कॉमन है और खास तौर पर या बजट डिवाइसेस में मिलता है।
• यह रिफ्रेश रेट कॉलिंग सेटिंग और ब्राउजिंग के लिए ठीक है लेकिन फास्ट मोशन मैं कभी-कभी ब्लर या फिर लैग जैसा लग सकता है।
हाई रिफ्रेश रेट (120Hz):
• इसमें स्क्रोलिंग ज्यादा स्मूथ और एनीमेशन फास्ट होते हैं।
• यह गेमिंग और तेज गति के कंटेंट मैं अच्छे से काम करता है। इसे आंखों पर तनाव भी काम पड़ता है खासकर जब आप स्क्रीन का लंबे समय तक इस्तेमाल कर रहे हो।
जब आप 60 हर्ट्स रिफ्रेश रेट वाले डिस्प्ले पर स्क्रॉल करते हैं तो यहां पर आपको टेक्स्ट थोड़े ब्लरी दिख सकते हैं जबकि 120 हर्ट्स रिफ्रेश रेट वाले डिस्प्ले पर आपको टेक्स्ट स्मूथ दिखेंगे। क्योंकि इसमें स्क्रोलिंग और एनीमेशन स्मूथ होते हैं।
कौन से डिवाइसेज में रिफ्रेश रेट जरूरी है?
1. स्मार्टफोन:
• हाई रिफ्रेश रेट से दैनिक इस्तेमाल करने में फोन स्मूथ लगता है।
• स्क्रीन ट्रांजिशन और इंस्टाग्राम और व्हाटअप जैसे एप्लीकेशन पर स्क्रोलिंग स्मूथ हो जाती है।
• गेमिंग फोन्स के लिए रिफ्रेश रेट बहुत जरूरी होता है और कई फोन्स में तो 144 हर्ट्स रिफ्रेश रेट मिलता है।
2. गेमिंग मॉनिटर्स:
• तेज गति के गेम्स जैसे कॉल आफ ड्यूटी, BGMI और फ्री फायर जैसे गेम्स के लिए रिफ्रेश रेट जरूरी है।
• गेमिंग करते समय लो रिफ्रेश रेट होने पर दूर के एनीमीज ब्लर हो सकते हैं और गेमिंग के लिए यह सही नहीं है क्योंकि यहां पर हर मिली सेकंड का मतलब हार या जीत होता है।
• जो लोग भी कॉम्पिटेटिव गेमिंग करते हैं उनके लिए 120 हर्ट्स या 240 हर्ट्स के मॉनिटर्स जरूरी है।
3. टीवी:
• जब हम कोई एक्शन फिल्म या फिर कोई खेल देखते हैं तो उसके लिए रिफ्रेश रेट जरूरी है। इससे मोशन ब्लर कम होता है और पिक्चर क्लियर दिखती है।
रिफ्रेश रेट का दैनिक जीवन पर क्या असर पड़ता है?
आप चाहे नॉर्मल यूजर हो या फिर गेमर हो रिफ्रेश रेट का आपके दैनिक अनुभव पर सीधे प्रभाव पड़ता है:
• स्मूथ स्क्रोलिंग: सोशल मीडिया या फिर इंटरनेट ब्राउजिंग करते समय।
• लैग फ्री गेमिंग: तेजी से प्रतिक्रिया और सही मोशन के लिए।
• देखने में आराम: यह आंखों के लिए अच्छा होता है खास तौर पर जब आप लंबे समय तक स्क्रीन को देखते हैं।
• बैटरी: हाई रिफ्रेश रेट ज्यादा बैटरी उपयोग करता है लेकिन कई फोन्स में एडाप्टिव रिफ्रेश रेट होता है जिससे बैटरी बचाई जा सकती है।
निष्कर्ष:
पहले स्क्रीन रिफ्रेश रेट को सिर्फ एक प्रीमियम फीचर के रूप में ही देखा जाता था पर अब यह सिर्फ प्रीमियम फीचर नहीं रहा। यह हर यूजर के अनुभव को बेहतर बनाता है। अगर आप कोई नया फोन लेने का सोच रहे हैं तो स्क्रीन रिफ्रेश रेट को जरूर देखें।
• अगर आप नॉर्मल या फिर कैजुअल यूजर हो तो आपके लिए 60Hz से 120Hz का स्क्रीन रिफ्रेश रेट वाला डिस्प्ले अच्छा रहेगा।
• अगर आप गेमिंग या फिर एडिटिंग करते हो फिर आपके लिए 120Hz से ज्यादा का स्क्रीन रिफ्रेश रेट वाला डिस्प्ले अच्छा रहेगा।